अरदास :सावन को
अरदास :सावन को
पिया मिलन की, आस है।
आया सावन का, मास है।।
घुमड़-घुमड़ कर, बादल है आये।
रिमझिम-रिमझिम, बरखा है लाये।।
बरखें की बूँदों में, तेरा एहसास है।
आया सावन का मास है।।
पिया मिलन की, आस है।
आया सावन का, मास है।।
बोल रही कोयल, रागों में।
खिली हैं कलियाँ, बागों में।।
बागों में हो रहा, रास है।
आया सावन का मास है।।
पिया मिलन की, आस है।
आया सावन का, मास है।।
चारों दिशाओं में, हरियाली, है छाई।
जन-जन में, खुशहाली, है आई।।
पर अधूरी, इस मन की, प्यास है।
आया सावन का मास है।।
पिया मिलन की, आस है।
आया सावन का, मास है।

