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ATUL MISHRA

Inspirational

4  

ATUL MISHRA

Inspirational

पथिक..!

पथिक..!

1 min
355


लक्ष्य को, निर्धारित कर!

खुद को ही ,प्रताड़ित कर!

स्वप्न नहीं, संकल्प है; तेरा,

नये दिन का, कर सवेरा।

हर-जतन ,प्रयास कर,

कठिनाइयों को ,निराश कर।

खुद पर विश्वास रख,

अधूरी अपनी, प्यास रख।

अभी तो सफ़र ,शुरू हुआ है,

कहाॅं अभी कुछ, दूर हुआ है।

सब सामने ही ;तो है ,तेरे,

क्यूं ले रहा है ज़माने के फेरे।

मन को, स्थिर कर,

ध्यान को ,केन्द्रित कर।

नज़र तू ,लक्ष्य पर अड़ा,

और कदम तू ,अपने बढ़ा।

दूर नहीं है ,मंज़िल तेरी,

थोड़ी चेतना ही है ,जरुरी।

जाग मुसाफिर,अब कर न देरी,

खुद को बस, कर, प्रेरित।

मंज़िल भी ,एक कदम ,तेरी ओर बढायेगी,

जब राह ,तेरे हौसलों पर ,अपने सर नवायेगी।



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