तेरा साथ!
तेरा साथ!
ज़िन्दगी को न रुसवाई मिले।
गर, आप को मेरी, दुहाई मिले।।
मेरे गुनाह की, क्या होगी सजा?
पर गुजारिश है, न जुदाई मिले।।
मिले तो मिले, दर्दनाक सजा,
पर दुनिया न पराई मिले।।
इस इश्क का ,जो साथ छूटा,
क्या पता फिर, हरजाई मिले।।
कोई दुआ, कोई मिन्नत नहीं की थी,
कर लाख जतन, पर ऐसी ,न लुगाई मिले।।
दुनिया की चकाचौंध में न फंस अतुल,
साथ फिर ऐसा, किस जन्म की कमाई मिले।।
