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ATUL MISHRA

Inspirational

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ATUL MISHRA

Inspirational

संघर्ष

संघर्ष

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दुनिया यह कोयले की खान,

मैं कोई एक टुकड़ा अंजान।

बिताये वक्त जन्मो साथ उनके,

कुछ छूटे, कुछ से नई पहचान।

मंजर वक्त का चलता रहा,

आते हालातों से लड़ता रहा।

लाखों जख्म पाये मगर,

हर जख्म का दर्द सहता रहा।

पूरा हुआ कशमकश मेरा, 

एक नये रूख का हुआ सवेरा। 

अतुल ये मन की पीड़ा ,

चमक उठा तन, कहलाया हीरा।। 


साहित्याला गुण द्या
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