रावण अब भी है
रावण अब भी है
रावण तब भी था
रावण अब भी है
तब वो मन का सच्चा था।
अब मन का कच्चा है।
तब उसने देहरी नहीं लांघी थी।
अब देहरी लांघ कर आता है।
तब उसकी सोने की लंका था।
अब लंका लूट कर जाता है।
तब वो चारों वेदों का ज्ञाता था।
अब वेदों की लाज गिराता है।
तब वो राम से मरना चाहता था।
अब राम को मारना चाहता है।