नवरूप तुम्हारी जगदम्बे
नवरूप तुम्हारी जगदम्बे
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या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
नवरूप तुम्हारी जगदम्बे,
श्रृंगार तुम्हारी निराली है।
बिंदिया - कुमकुम, चूड़ियां लाल,
लाल फूल तुम्हें प्यारी है।।
करती है सिंह सवारी माँ,
माँ कष्ट सभी की हरती है।
संहार दानवों का करने,
माता धरती पर आती है।।
हाथों में शंख, चक्र, गदा, त्रिशूल,
पर हृदय में स्नेह रखती है।
जतन से जो भक्ति करले,
सुख शांति समृद्धि देती है।।