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shikha rani

Romance

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shikha rani

Romance

मैं और तुम

मैं और तुम

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मैं और तुम 

दो ओस के बुंदे थे 

जिन्दगी जहाँ ले जाती 

उन रास्तों पर चल जाते 


मैं और तुम 

ना जाने कब पानी बन गए 

सागर के किनारे पहुंच गए 

हाँ 


मैं और तुम 

जीने की चाह बन गए 

मैं और तुम 


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