रात
रात
नींद,
पलकों से कोसों दूर।
ख़ाब,
पड़े है तकिए के नीचे।
रात,
भागे जा रही है।
अंधेरा,
डरा रहा है मुझे।
तनहाई,
गला घोटने में लगी है मेरा।
यादें,
बचाने की कोशिश में जुटीं है मुझे।
मैं,
खुद को ओढ़ कर लेटा हूँ ऐसे।
लाश,
कफन ओढ़े लेटी हो जैसे।
नींद,
पलकों से कोसों दूर।
ख़ाब,
पड़े है तकिए के नीचे।
रात,
भागे जा रही है।
अंधेरा,
डरा रहा है मुझे।
तनहाई,
गला घोटने में लगी है मेरा।
यादें,
बचाने की कोशिश में जुटीं है मुझे।
मैं,
खुद को ओढ़ कर लेटा हूँ ऐसे।
लाश,
कफन ओढ़े लेटी हो जैसे।