Amandeep Singh
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ख़त भेजा उसने क़ासिद के हाथों मुझको
शब भर खाबों में देखा करते हैं तुझको।
दिल में तेरी यादें लब पे तेरी बातें
यारा तेरे बिन भाता ना कोई मुझको।
हर इक दर पर सजदा करना है अब आदत
माँगा जब कुछ रब से माँगा हमने तुझको।
मैं
रात
कुछ नहीं है
रोटी मेरे बिन...
ज़िंदगी - ग़ज़ल
खत
दिल खुदा से