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Amandeep Singh

Abstract

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Amandeep Singh

Abstract

कुछ नहीं है

कुछ नहीं है

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काम धंधा कुछ नहीं है

और बंदा कुछ नहीं है


सोच में है सब बुराई

और गंदा कुछ नहीं है


देख कर चुपचाप है सब

और अंधा कुछ नहीं है


क्या कहूँ मैं हाल मेरा

और मंदा कुछ नहीं है


ज़िन्दगी महबूब के बिन

और फंदा कुछ नहीं है


सब दुआएं नाम तेरे

और चंदा कुछ नहीं है


हौसला, उम्मीद है इक

और कंधा कुछ नहीं है


है अमन तेरी दुआ से

और बंदा कुछ नहीं है।


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