रोटी मेरे बिना खाती नहीं कभी
रोटी मेरे बिना खाती नहीं कभी
मुझको जला दिया इस बात पर यहाँ
तुम मायके से कुछ लाती नहीं कभी
शब भर खड़ी रही "माँ" इंतज़ार में
रोटी मेरे बिना खाती नही कभी
सब कह दिया उसे क्या हाल है मिरा
मुझ पर दया उसे आती नहीं कभी
यूँ सोचता रहा मैं रात भर अमन
ये रात क्यों गुज़र जाती नही कभी।
