"रात के आगोश में"
"रात के आगोश में"
रात के आगोश में, उस चांद के करीब में
हम ख्वाब नया बुनने लगे, चांद सी तस्वीर में!!
ढूंढने लगे यूँ हाथ में, क्या नाम लिखा लकीर में
सोच कर यूं मुस्कुरा दिये, जाने हम कैसी गिरफ्त में
हम सितारों से ये पुछने लगे, देखा है कहीं दुरबीन में
वो है यहां के है नहीं, क्या है! हमारे नसीब में
रात के आगोश में, मंद मस्त हम यूँ नींद में
दिल को यूं ही बहला रहे नये सपनों की तशरीफ में !!

