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Ervivek kumar Maurya

Tragedy Thriller

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Ervivek kumar Maurya

Tragedy Thriller

रास्ते सभी साफ़ से

रास्ते सभी साफ़ से

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मुझे दिखाई आज कोई पड़ता नहीं

क्या मुझसे लोग खफा हैं या नजरें चुराये हैं

रास्ते सभी साफ़ से ,सूने-सूने लगते हैं

लगता है रास्तों पे कब्र बनाये बैठें हैं


मुकद्दर का लिखा कोई मिटा नहीं सकता

जो कीमत देनी है उसे लगा नहीं सकता

हाथ की लकीरें हैं तो वहीं पे

पर मंजिलों के रास्ते ओझल हो के चले हैं


मुझे सहारा मिला, बेसहारा हो गया

मुझे किनारा मिला, बेकिनारा हो गया

अपनी तमन्ना थी वक़्त सही कर दूँ

पर वक़्त पे बेवक़्त होते ही गये हैं



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