राखी का त्यौहार
राखी का त्यौहार
आ गया राखी का त्यौहार , बहना को भाई को
देखने के लिए मन में खुशी की तरंगे उठ रही हजार,
उमंगों की श्रावण पूर्णिमा लग रही चारों ओर
सदाबहार भाई का भी बहना के
प्रति श्रद्धा दिख रही अपार,
आ गया देखो राखी का त्यौहार।
कई बरस बीत गए, देखने के लिए नयन तरस गए
न भाई आया, न हीं कोई उसका संदेश आया
आने के इंतजार में भाई की,
बहना पलकें रखी है पसार
आ गया देखो राखी का त्यौहार।
रक्षा- सूत्र बाँधने की घडिय़ाँ होती पार,
पर उस बहना को क्या पता की मेरा
राखी लौटकर नहीं आ पाएगा इस बार !
एक माँ की रक्षा करते हुए दुश्मनों
से लोहा लेते हुए वह स्वर्ग गया सिधार।
आ गया देखो राखी का त्यौहार।
वह इस उम्मीद में की मेरा भाई जरूर
आएगा इस बार , वह ताक रही राहें वह,
खिड़की दरवाजे खोल बारम- बार,
वह आश लगाये बैठी है,
जरूर जीतेगा मेरा अटूट राखी का विश्वास,
कौन उसे समझाये कि तेरा भाई अब
विजय यात्रा को कूचकर कर गया,
पर वह जिद लगाये बैठी है कि
मेरा भाई फिर आएगा,
देर ही सही पर आएगा जरूर !
आ गया देखो राखी का त्यौहार,
आ गया भाई-बहन के अटूट
संबंधों का सुमधुर त्यौहार।
