राजनीति
राजनीति
राजनीति का राज निराला,
अजब ही इसका खेल है!
पैसा पावर पहुंच ही सब कुछ,
कर्मठता बेमेल है!
कर्ता खाएं सूखी रोटी,
नेता पूड़ी-भेल है!
पंचवर्षीय कुर्सी हेतू,
कितना रेलमपेल है!
जनता दौड़े पगडंडी पर,
नेता पकड़े रेल है!
टिकट के बंटवारे का भी,
अजब बड़ा ही खेल है!
बाप की कुर्सी बेटा पकड़े,
बाकी फोड़े बेल है!
तय टिकट की कीमत होती,
कार्यकर्ताओं को ठेल है!
जयचंदों की कटती चांदी,
ईमान को मिलती जेल है!
राजनीति का राज निराला,
अजब ही इसका खेल है।
