STORYMIRROR

Sunita Shukla

Romance

3  

Sunita Shukla

Romance

राह देखती किस पथिक की

राह देखती किस पथिक की

1 min
247



राह देखती किस पथिक की

तीर नदी के सकुचाई सी

मौन धरे सूखे अधरों पर

आशा का एक दीप जगाए।


खोल हृदय के बंद द्वार

राहों को वह रही निहार।

अश्रु की दो बूँद अटकी

पलकों को रह-रह भिगोती।।


नेह की गागर समेटे

श्र्वास की लड़ियाँ सहेजे।

बाट जोहती किस पथिक की

राह देखती किस पथिक की।।


             

   


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance