प्यार
प्यार
हर कोई ही जगत में चाहता है प्यार,
और चाहता है मिले खुशियां अपार।
मिलें गम तो हो जाते सब बेकरार,
लगभग आज है ऐसा सारा ही संसार।
खुद की त्रुटियों का हमें न होता है भान,
खुद के गुणों का है हरदम करते बखान।
खुद के गुण पर त्रुटि का करते विचार,
लगभग आज है ऐसा सारा ही संसार।
खुद संग चाहते जैसा वैसा दीजिए व्यवहार,
बिन देखा-देखी अपनाएं व फैलाएं संस्कार।
तब ही तो हो सकेगा सकल जग का उद्धार,
सारे जहां ही में होगा बस, प्यार-प्यार-प्यार।
