प्यार
प्यार
फलसफे में तुझें मैं क्या कहूँ
बस तेरा दीदार जो हो गया
सोचा ख्वाब तो सक हो गया
पर लम्बा इंतजार हो गया।
फलक जाना चाहता था मैं भी
राहों में ही तेरा खुमार हो गया
खोया इस कदर तेरी चाहत में
दिल तेरे लिए बीमार हो गया।
जमाना क्या अब मुझे ऐसे रोकेगा
कोई क्यों अब मुझे यूँ ही टोकेगा
नयनों से तू हृदय में जो है उतरी
दिल से दिल का इकरार हो गया।
मैं था मस्त मोला राहगीर राह का
ना जानता था हाल इस चाह का
नयन दो से चार हुए हैं जब से
यानी कि बाकायदा प्यार हो गया।

