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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance

प्यार की अहेमियत

प्यार की अहेमियत

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प्यार की अहमियत समझा हूं मै,

प्यार की राह पे चल रहा हूं।

बरसों बीत गये बिछड़े उस से,

मिलनेन को प्रेम नगर पहुँचा हूं।

अनजान हूं मैं प्रेम नगर से,

 प्रेम की गली में भटकता हूं।

ढुंढकर पहोंचा प्रेम मंजिल पे,

मेरे प्यार को ख़ोज रहा हूं।

प्रेम मंजिल पे देखी मैने उसको,

खुशियों को रोक नहीं पाता हूं।

इशारा कर के बुलाया मुझको, 

रोमांच का अनुभव कर रहा हूं।  

पहुंच गया मेरे प्यार के पास मै,

दिल से स्वागत मै पा रहा हूं।

उसकी सुंदर सूरत देखकर मै,

 त् त् थै त् त् थै नाच रहा हूं।

नज़र से नज़र मिल गई मुझ से,

प्यार का एहसास कर रहा हूं।

दोड़कर दिया आलिंगन मुझको

मदहोंश बनकर ड़ूब रहा हूं।

बरसो से मै तड़प रहा था,

 अब मिट गई है सारी दूरियां,

उसके रुप का अंज़न बनाकर,

"मुरली" अंखियों में लगाता हूं।



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