प्यार है या वासना ?
प्यार है या वासना ?
सुरमई उस शाम में जब, हाथ पकड़ा यार ने,
पास मुझको खींच जब होंठों पे चुम्बन जड़ दिया
तिलमिला उठा मेरा मन और कहा फिर होंठ ने
तुमने यारा असलियत आखिर में अब दिखला दिया ?
प्यार यदि है हेतु सात्विक और मिलन दो आत्मा,
प्यारा का साक्षी बनेगा तब सदा परमात्मा।
इन्द्रियाँ तो मनचली हैं, इनको होगा थामना,
हम मनुज हैं पशु नहीं जो वरण कर लें वासना।
तुम मुझे सच - सच बताओ क्या तुम्हारी कामना,
युग युगांतर प्यार करना या मिटानी वासना ?
वासना की आग में जलकर भला क्या पावना,
मिलन हर युग में हो अपना मेरी तो यह कामना