प्यार है तुमसे
प्यार है तुमसे
दोनों तरफ़ थी सांकर
पर जाने क्यूं मगर,
दरवाजा जब बंद किया तुमने,
मैं खटखटाने लगा
वैसे तो तन्हा जीने
का मुझको जायका था
पर तुम जब कभी भी रूठे
मैं मनाने लगा
बहुतों ने दिया धोखा
दिल कइयों ने तोड़ा
जाने कितने थे
जिन्होंने बीच भंवर छोड़ा
शिकन भी ना थी,
ना कोई दर्द जाना
जाने गए कितने
जिनको अपना माना
पर उतर तुम गए हो
बहुत गहरे में हम में
जो इक तल्ख़ नज़र से
मैं छटपटाने लगा
वैसे तो तन्हा जीने
का मुझको जायका था
पर तुम
जब कभी भी रूठे
मैं मनाने लगा
न सतह पे कोई हलचल
किसी को पड़ी दिखाई,
जाने कितने पत्थर,
गए मेरी तरफ उझाले,
टिमटिमाती रही जोत मुझमें खुशी की
हंस के पीए मैंने कई जहर प्याले
पर हुआ जाने क्या है
है बेचैनी अजब सी
तुम बस फेरते हो नज़रें
मैं कराहने लगा
दोनों तरफ़ थी सांकर,
पर जाने क्यूं मगर,
दरवाजा जब बंद किया तुमने,
मैं खटखटाने लगा
वैसे तो तन्हा जीने
का मुझको जायका था
पर तुम जब कभी भी रूठे
मैं मनाने लगा...