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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Abstract Romance Inspirational

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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Abstract Romance Inspirational

सत्य

सत्य

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मैं सत्य हूं

पर झूठ ओढ़ लेता हूं

न हो जाऊं दूर तुमसे

बस इसलिए

सच से मुंह मोड़ लेता हूं


ऐसा नहीं कि मुझे भय है

पर कुछ काम अभी बाकी हैं,

जिन्होंने खुद तप कर 

मुझे सोना बनाया है,

उनको हंसते देखने की

कई सुबह शाम बाकी हैं,


हसरतें सबकी पूरी 

होने को अब है सारी

ईश्वर ने भरपूर की है

सबको खुश करने की तैयारी


हां डर है 

पर 

कसम से 

खुद के लिए नहीं है,

मैं सूर्य सा हूं अविचल

मेरी ज़िद अब भी वहीं हैं

पर सोचता हूं मेरा औरा

कहीं तकलीफ न दे दे तुमको, 

बस इसलिए

कसम खुद से खाई

खुद ही मैं तोड़ देता हूं


मैं सत्य हूं

पर झूठ ओढ़ लेता हूं

न हो जाऊं दूर तुमसे

बस इसलिए

सच से मुंह मोड़ लेता हूं।



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