पति पत्नी और वो
पति पत्नी और वो


ऐ-जी सुनो ना, दरवाज़ा बंद कर दो ना.....
पत्नी के ऐसे शब्द सुनकर,
पति ‘आनंदित’ हो आया,
झट से बत्ती बुझा कर उसने,
पलंग पे फट से ‘छलांग’ लगाया।
घुप्प अंधेरे में ज्यों ही उसने,
पत्नी की ओर मुंह बढ़ाया।
चुम्बन करने को ही था कि, ई-का!
ससुर मुंह में जालीदार ‘कपड़ा’ आया।
झट-पट उठा बिस्तर से वो,
और नीचे झट से कूद पड़ा।
कमरे की बत्ती ज्यों ही जली,
मास्क पहने पत्नी को देख चौक पड़ा।
अरे ए मुनिया की मम्मी ई का,
अब तुमने भी अपने मुंह पर मास्क कस लिया है।
और ई कोरोना की ऐसी की तैसी,
ई ससुर पति प्रेम को भी डस लिया है।
ए जी तुम काहे इतना गरियाते है,
ई लीजे मास्क कसिए।
और काहे नहीं दो मीटर की दूरी पर तुम,
शांति से बैठ जाते हैं।
पति पत्नी के बीच ना जाने ये,
कैसी विपदा आन पड़ी,
पल भर में ही दो मीटर की,
अदृश्
य दीवार ही गई खड़ी।
फुदक-फुदक कर मुनिया आई,
आते ही वो कुछ बोल पड़ी।
बिना मास्क के ‘मुनिया’ को देख,
मम्मी उसकी हो गई खड़ी।
मम्मी-पापा, पापा-मम्मी,
क्या ये बीमारी फैली है।
कोई नहीं अब खेले है संग,
दूर भागे सहेली है।
मेरी मैडम कहती अक्सर,
कि, चाइना कोई भी चीज,
ज़्यादा नहीं चलती है।
फिर क्यूँ चाइना कि ये बीमारी,
खांसने से भी पलती है।
जवाब में बोली मुनिया की मम्मी....
कित्ती दफा बोलु तोसे,
समझ ना तोय जे आ रही है।
मास्क लगा ले ओरी मुनिया,
नासपीटी बीमारी फैली जा रही है।
पति बोला कि ओरी देवी,
अब तुम ही कोई उपचार बताओ।
पत्नी बोली ओरे देवता,
चट पट से ये तुम मास्क लगाओ।
पर कितना भी तुम कोसो कोरोना को,
चलो, एक तो अच्छा काम किया है,
जिन दंगों को ना रोक पाई सरकार,
उन दंगों को तो रोक दिया है।