योनि और पुरुष!!!
योनि और पुरुष!!!
आखि़र, ऐसी भी क्या नौबत आन
पड़ी है,
जो आदम जाति यहां फँसी पड़ी है।
क्यूं लार टपकने लगती है इस हिस्से
को देखते ही,
क्यूं लगते हैं आँखें सेकने, चिपके
कपड़े पहनी महिला को देखते ही।
योनि ही तो है सभी यहीं से आते हैं
फिर क्यूं पुनः इसी में भला घुसने
को ये चाहते हैं।
प्रत्येक महिला के पास होती है ये,
हिम्मत हो तो अपनी ही माँ ,बहन,
बेटी से पूछ लो,
गर नहीं हैं हिम्मत, और बची है
थोड़ी भी शर्मींदगी, तो ताड़ने,
घूरने और आँखें सेकने से
पहले एक दफा ज़रूर ये सब
सोच लो।
औरत शरीर का सुन्दर सुकोमल
हिस्सा है ये,
फिर क्यूं गंदी नज़रों से देख नज़र
लगाते हो,
और कभी-कभी नज़रें इतनी गहरी
हो जाती हैं कि, देखने वाले की
बुद्धि भी बहरी हो जाती है।
बंधू, कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारी गंदी अभीष्ट नज़र से ये सिकुड़ जाए,
तो अगली दफा जन्म लेना मुनासिब नहीं होगा और अगर ले भी लिया तो
क्या पता बिना लिंग, और अधूरे ढांचे के अपाहिज़ पैदा हो तुम।
~हेमंत राय।