Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Bhavna Thaker

Tragedy

3  

Bhavna Thaker

Tragedy

पता ही नहीं चला

पता ही नहीं चला

1 min
284


कभी खूबसूरती से रचे हुए मायाजाल के कैनवास का हिस्सा थी वो

आज वो पराजित होते लुढ़क गई है उसके नये इन्द्रधनुषी पटल पर अखर रही थी ये पुरानी काया।


यकीन के टीले पर ठहरी थी आज तक, 

बेरुख़ी की बौछार में नहाते उसे महसूस हो रहा है उसकी ज़िंदगी से ख़ारिज कर दी गई है,

एक रंग उड़ी तस्वीर की तरह दीवार से उतार दी गई है।

 

कभी उस कारीगर ने उसकी त्वचा की परत पर असंख्य रंगों से प्यार लिखा था,

आज उधेड़ कर हर रंगों पर एक नया रंग चढ़ा लिया है।

 

कब धीरे-धीरे दरार बनी और कब दरारो में सिलन ने जगह ले ली पता ही नहीं चला,

वो मग्न थी उसके पोते गये हर रंग को सँवारने में कौन सा रंग रूठ गया पता ही नहीं चला।


कैनवास से फिसलती कब फ़र्श पर कालीन सी बिछ गई पता ही नहीं चला

थी कभी वो भी उस सुंदर कैनवास का हिस्सा जिसकी कामना वो पागलों की तरह करता था।


अब मृत कृति पर नफ़रत के फूल चढ़ते है ना कोई रंग है ना सुगंध है, कोरे धवल कैनवास को तकते ओंधे मुँह पड़ी है

ऐतबार की मारी आज खुद पर शर्मिंदा है।


Rate this content
Log in