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Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy Inspirational

सिसकती आवाज़

सिसकती आवाज़

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दहशत में सिसक रही आवाज़ को बहरे कानों तक पहुँचना जरूरी है !

हम चुप बैठे हैं अबतक !

इसका मतलब ये नहीं की हमारी कोई मजबूरी है ।

सत्ता के गलियारों से आ रही मिलावट और घाल - मेल की बू !

अपने हक माँगने वाले को भी सरकार से की जा रही हथजोरी है !

दहशत में सिसक रही आवाज़ को बहरे कानों तक पहुँचना जरूरी है ! 

हम अब तक चूप बैठे हैं ,इसका मतलब ये नहीं की हमें अपनी हक माँगने में कोई मजबूरी है !

हम लडेंगे अंतिम साँस तक अपनी हक की लड़ाई !

अब इसको भी मत कह देना की ये हमारी चोरी है !

हथजोरी करने से बेहतर हम अपनी हक के लिए निडरता से करें मुकाबला!

समय की यही अब माँग है ।

करना अब ये निहायत जरूरी है ।

सत्ता के गलियारों तक बहरे कानों में अपनी हक की आवाज़ पहुँचाना जरूरी है ।


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