सिसकती आवाज़
सिसकती आवाज़
दहशत में सिसक रही आवाज़ को बहरे कानों तक पहुँचना जरूरी है !
हम चुप बैठे हैं अबतक !
इसका मतलब ये नहीं की हमारी कोई मजबूरी है ।
सत्ता के गलियारों से आ रही मिलावट और घाल - मेल की बू !
अपने हक माँगने वाले को भी सरकार से की जा रही हथजोरी है !
दहशत में सिसक रही आवाज़ को बहरे कानों तक पहुँचना जरूरी है !
हम अब तक चूप बैठे हैं ,इसका मतलब ये नहीं की हमें अपनी हक माँगने में कोई मजबूरी है !
हम लडेंगे अंतिम साँस तक अपनी हक की लड़ाई !
अब इसको भी मत कह देना की ये हमारी चोरी है !
हथजोरी करने से बेहतर हम अपनी हक के लिए निडरता से करें मुकाबला!
समय की यही अब माँग है ।
करना अब ये निहायत जरूरी है ।
सत्ता के गलियारों तक बहरे कानों में अपनी हक की आवाज़ पहुँचाना जरूरी है ।