गर्म हवाएं।
गर्म हवाएं।
आखिर धीर धीरे,
गर्मी दस्तक देने लगी,
टी-शर्ट और शोर्ट्स निकल आए
पंखा अपनी मस्त चाल चलने लगा,
फ्रीज भी साथ देने लगा,
ठंडा पानी पिलाने लगा,
प्यास बुझाने लगा।
बती का गुल होना,
खलने लगा,
नल भी सूखने लगा,
पानी की किल्लत,
चिंता बढ़ाने लगी,
अभी तौ है शुरूआत,
अभी से ऐसे आसार,
तो फिर,
क्या होगा भगवान,
जब सुर्य देव दिखाएंगे,
अपना रौद्र रूप,
त्राहि त्राहि मच जाएगी,
चारों और।
हुक्मरानों को लेना,
चाहिए संज्ञान,
सोचने चाहिए उपाय,
कैसे जुटाएं,
हर रोज की साधारण जरूरतें,
और दूर करें तकलीफें।
नहीं तो,
मानव और मानव में,
होगी जंग,
कट मरेंगे,
छोटी-छोटी बातों पे भिड़ेंगे,
सब जानते,
साधन है सीमित,
क्यों न मिल बैठकर,
करें उचित उपयोग,
न किसी की हो हानी,
और न पर्यावरण को क्षति।