वह आदमी सोया हुआ था वह आदमी ही नहीं था। वह आदमी सोया हुआ था वह आदमी ही नहीं था।
वही है जो बदल सकती है यह प्रथा इस ब्रह्मांड में। वही है जो बदल सकती है यह प्रथा इस ब्रह्मांड में।
नेक इंसान बनकर हम राष्ट्र की अस्मिता बढ़ाए। नेक इंसान बनकर हम राष्ट्र की अस्मिता बढ़ाए।
धरा ने अपना रौद्र रूप दिखाया पानी को अपने अंदर रख लिया सूरज ने गुस्सा दिखाया दुःख की बार... धरा ने अपना रौद्र रूप दिखाया पानी को अपने अंदर रख लिया सूरज ने गुस्सा दि...
खुद के हर टुकड़े को बटोरने का, एक टुकड़ा साहस का होता है, खुद के हर टुकड़े को बटोरने का, एक टुकड़ा साहस का होता है,
कैनवास से फिसलती कब फ़र्श पर कालीन सी बिछ गई पता ही नहीं चला! कैनवास से फिसलती कब फ़र्श पर कालीन सी बिछ गई पता ही नहीं चला!