जिंदगी चैत्र की बासन्ती-वास. जिंदगी चैत्र की बासन्ती-वास.
मुझे अपने कलम की स्याही में सुरक्षित कर लो, मुझे शब्दों की सशक्त श्रृंखला में हीरे सा मुझे अपने कलम की स्याही में सुरक्षित कर लो, मुझे शब्दों की सशक्त श्रृंखला में...
बच्चे कितने सच्चे होते हैं। बच्चे कितने सच्चे होते हैं।
कैनवास से फिसलती कब फ़र्श पर कालीन सी बिछ गई पता ही नहीं चला! कैनवास से फिसलती कब फ़र्श पर कालीन सी बिछ गई पता ही नहीं चला!
हाँ मैं एक कलाकार हूँ ढूंढ रही हूँ वो चित्र झंकझोर दे जो मन में बजते वीणा के तार...... बना दे मन... हाँ मैं एक कलाकार हूँ ढूंढ रही हूँ वो चित्र झंकझोर दे जो मन में बजते वीणा के ...