बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे
बच्चे
कितने
सच्चे
होते हैं
कोई न
उनका
दुश्मन
होता
सारा
जग ही
उसका
घर
होता है
प्रेम से
जो भी
पेश है
आता
जान
छिड़कते
अपना वो
बच्चे
दिल के
कोमल
है होते
कभी न
इनपर
गुस्सा होना
कभी ना
इनके
शरारतों
से
घबराना है
बच्चे होते हैं
कोरा
कैनवास
उसपर
जैसी
पेंटिंग
बनाओगे
वैसा ही
बन जाएंगे।
