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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

"इंसानियत का आत्मदाह"

"इंसानियत का आत्मदाह"

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जिसको कहते है, जिसे दूसरा खुदा

उसको भी लोगों ने कर दिया मुर्दा

डॉक्टर अर्चना को शत शत नमन

खुद को साबित करने, वो बेगुनाह


उन्होंने किया आत्महत्या का गुनाह

खास उन पर हत्या केस न लगाते

डॉक्टर अर्चना हमारे बीच ही पाते

भ्रष्ट प्रशासन ने, नहीं सुनी वो आह


उस मासूम को दी, मौत की पनाह

वह भी क्या बदतर हालात रहे होंगे,

जब एक माँ, पत्नी ने चुनी मौत राह

आज इंसानियत ने किया आत्मदाह


छोड़ दो, दोस्तों व्यर्थ की यह डाह

डॉक्टर ईश्वर का रूप होता है, वाह

डॉक्टर अर्चना को न्याय दिलाओ,

और धरा पर मानवता को बचाओ


मानवता की खुदती रही यूँ कब्रगाह

फिर इंसानों का भी न रहेगा निशां

हर जगह होगा, बस अंधेरे का जहां

गर बचाना है, साखी मानवता राह


मिटा भ्रष्टाचार जगह कृष्ण स्याह

जला वो चराग, उजाले का तू यहां

घूस, भ्रष्टाचार की निकल जाये जां

हम सत्य पुजारी, झूठ की नहीं हां



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