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Nitu Rathore Rathore

Tragedy

4  

Nitu Rathore Rathore

Tragedy

***ज़िम्मेदार****

***ज़िम्मेदार****

1 min
355


ज़िंदगी से ही अपना सब कुछ हार रहा हूँ मैं

खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा हूँ मैं

चेहरे पर हँसी हैं अभी पर सच में रो रहा हूँ मैं

रिश्तों से क्या अब दोस्तों से भी बिछड़ रहा हूं मैं

हाँ मैं अभी बहुत मजबूर हूँ ,हाँ मैं एक मजदूर हूँ

न जाने क्यो फिर भी चले ही जा रहा हूँ मैं ।


शान बघारता था अब सबके आगे झुक रहा हूँ मैं

जिंदा हूँ पर लाश अपने कंधे पर ढोये जा रहा हूँ मैं

सफलता का राग अलापते ,असफल हो रहा हूँ मैं

अपनो के बीच भी पराया होता जा रहा हूँ मैं

हाँ मैं अभी बहुत मजबूर हूँ ,हाँ मैं एक मजदूर हूँ।

न जाने क्यो फिर भी चले ही जा रहा हूँ मैं।


रोटी कमाने गया अब रोटी खाने को ही तरस रहा हूँ मैं

उदास सफलता की प्यास ,पानी तलाश रहा हूँ मैं

पिलाने वाले बहुत है पर उनको नजर नहीं आ रहा हूँ मै

अपनी इस स्थिति का क्या 'नीतू' खुद ज़िम्मेदार हूँ मैं

हाँ मैं अभी बहुत मजबूर हूँ ,हाँ मैं एक मजदूर हूँ

ना जाने क्यो फिर भी चले ही जा रहा हूँ मैं।


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