प्रकृति
प्रकृति
ना छेड़ मनुज तु प्रकृति को
अस्तित्व तेरा मिट जाएगा
श्रृंगार धरा के वृक्ष है ये
जीवन संकट बढ़ जाएगा
सूनी सूनी बस्ती होगी
सूना सूना ये जग होगा
वीरान गली हर घर होगा
त्राहि त्राहि मच जाएगा
धीरे धीरे वन खत्म हुए
सब पेड़ यूं कटते जाते है
विकट परिस्थिति होगी जब
आक्सीजन रह न जाएगा-
हरी भरी धरती होगी जब
हरियाली ख़ुशियाँ होगी
आज सभी संकल्प ले हम
एक एक पौधे को लगायेंगे
इस पर्यावरण दिवस पे सबसे
शिवम् यही आह्वान रहे
धरती मानव के अस्तित्व को हम
फिर से यूँ हरा बनायेंगे !!