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praveen ohdar

Tragedy

4  

praveen ohdar

Tragedy

कड़ी अतीत की

कड़ी अतीत की

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बीता हुआ समय

न आएगा

समय एक धारा हैं

जो अविराम बहती है

क्यूँ नही रोक सकता

 मैं इस धारा को 


दोहरा सकता अपने अतीत को

खींचती हैं वर्तमान की नीरसता 

और निष्ठुरता मुझे अतीत की ओर

पर विवश हूं जीने के लिए इस

वर्तमान में और ऐसे भविष्य की ओर 

जो स्वप्नहीन है

दिशाहीन है


सम्भव है धारा अतीत की

जुड़ जाय भविष्य से

बहने लगे धारा

समय की

जोड़ती कड़ी

अतीत की 

भविष्य से।


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