चौथे दिन की डायरी सहमती दुनिया
चौथे दिन की डायरी सहमती दुनिया
जब सब सहकर्मियों ने बागडोर हमारी संभाली,
देखते ही देखते पूरा साल गुजर गया।
इस तरह अब चारों तरफ अफरा-तफरी मची रही,
इस साल के शुरू में थोड़ा सा आराम मिला था।
ज्यादातर लोगों ने वैक्सीनेशन करवा लिया था,
कई लोग उसके साइड इफेक्ट्स से डरने लगे।
सरकार ने बहुत जागरूकता फैलाई
फिर भी लोगों ने कम वैक्सीनेशन करवाई।
फिर कई लोग करवाने की सोच ही रहे थे,
कि अचानक से इतना वायरस फैलने लगा।
कि जब इंसान अपने घर से बाहर निकलने में खतरा महसूस करने लगा,
डर के मारे सब लोग अपने अपने गांव में चले गए।
यातायात के साधनों को बंद कर दिया गया,
सभी कितने संकट से झूझ रहे थे।
किसी की गोद सूनी हुई तो किसी की मांग सूनी हो गई,
कोई अनाथ हो गया या कहीं कोई बुढ़ापा अकेला रह गया।
हाहाकार मच रहा था हर तरफ…..