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achla Nagar

Tragedy

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achla Nagar

Tragedy

पाँचवेंदिनडायरी अकल्पनीय खौफ़

पाँचवेंदिनडायरी अकल्पनीय खौफ़

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लगता है जैसे किसी का अभिशाप झेल रहे है हम,

सारी अर्थव्यवस्था दाँव पर लग गई है।

 

लोगों की सांसों का भी  सौदा हो रहा है, 

कितना  बेरहम  जमाना है।

 

दवाइयों, इंजेक्शनो और ऑक्सीजन

सिलेंडर की कालाबाजारी हो रही है,

लोग मौत से नहीं  डर रहे हैं।


बस लोगों को पैसा कमाने की पड़ी है,

कितना संगदिल हो गया है जमाना।


 जो सिर्फ अपने ही बारे में सोचता है, 

 जैसे तैसे अब थोड़ी सी राहत मिली है वायरस से।

 

अब शायद लॉकडाउन खुलने की तैयारी हो रही है,

नौकरियां लोगों की छूट गई हैं।

 

बच्चों की पढ़ाई तो ताक पर रख दी गई है,

कितनी परीक्षाएं रद्द हो चुकी है।

 

लॉकडाउन के खुलते ही सब लोग

पुराने समय की तरह घूमने-फिरने लगेंगे,

किसी को डर भी नहीं है

अपनी जिंदगी या अपनों की जिंदगी का।


जिसको दांव पर लगता देख कर जरा चुप रह जाए,

यह पर्यावरण भी सारा बर्बाद हो गया है।


कितने पेड़ पौधे भी  काट दिए गए हैं,

सिर्फ अपनी जरूरत के लिए।


नहीं तो ऑक्सीजन की,

कोई कमी नहीं होती इस पृथ्वी पर।


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