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Rajesh SAXENA

Abstract Tragedy

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Rajesh SAXENA

Abstract Tragedy

टूटती सास

टूटती सास

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एक अलग ही बहार चली आई है,

इंसानों को इंसानियत का पाठ पढ़ाने आई है।

हर चेहरे पर लगा मास्क हैं,

कुछ चेहरा को मास्क से ही मिल रही श्वास हे।

हर श्वास कीमती है, हर जान कीमती है।

हर उस जाती हुई जान से जुड़ी जान से पूछो की

वो जान उसके लिए कितनी कीमती हैं ।


सांसों का भी मोल होता है, जीवन का भी व्यापार होता है,

मरने पर भी मुक्ति के लिए इंतजार होता है। 

बिना कंधे भी अंतिम यात्रा होती हे,

बिना अपनो के भी सदगति होती हे।


रिश्ते का तो कोई मूल्य नहीं होता मगर आज

हर रिश्ते को बचाने की कीमत आसमान चढ़ आई है,

उपचार, अस्पताल, प्राणवायु सब कुछ पहुंच से बाहर हो आई हैं। 


आस भी कही दूर उजालों के साथ अंधकार में बैठ गई, 

सिर्फ सस्ती है तो दुआ जो मेरे और तेरे दिल में है। 

अपने दिलों को जोड़ लेते हे,

एक दूसरे के अच्छे के लिए सोच लेते हे।

हम ही आपस मैं काम आएंगे,

बाकी सब फरमान है, कागजों में ही सिमट जाएंगे। 



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