STORYMIRROR

Supriya Devkar

Tragedy Inspirational

4  

Supriya Devkar

Tragedy Inspirational

रास्ता

रास्ता

1 min
219

मै जाग जाता हूँ जब शहर सो जाए 

रात की खामोशी को अपना जो बनाए 


दिनभर की भागदौड रोज सेहता हूँ मैं 

आवाजोकी दुनिया मे बिनबोले रेहता हूँ मै


रात का इतंजार करते दिन कट जाता है 

शितल चाँद के साथ वक्त बट जाता है 


प्यार तो चाँद से हर कोई करता है 

पर मेरा रिश्ता उसके साथ कुछ खास है 


अंधेरेसे कभी डर नही लगता है

अब तो उसकी आदत लगी है 


मैं हमेशा खूश रहता हूँ चाहे आंधी हो या तुफान 

कितने भी जख्म हो शरिर पर यही है मेरा जहाँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy