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Supriya Devkar

Tragedy Inspirational

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Supriya Devkar

Tragedy Inspirational

रास्ता

रास्ता

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मै जाग जाता हूँ जब शहर सो जाए 

रात की खामोशी को अपना जो बनाए 


दिनभर की भागदौड रोज सेहता हूँ मैं 

आवाजोकी दुनिया मे बिनबोले रेहता हूँ मै


रात का इतंजार करते दिन कट जाता है 

शितल चाँद के साथ वक्त बट जाता है 


प्यार तो चाँद से हर कोई करता है 

पर मेरा रिश्ता उसके साथ कुछ खास है 


अंधेरेसे कभी डर नही लगता है

अब तो उसकी आदत लगी है 


मैं हमेशा खूश रहता हूँ चाहे आंधी हो या तुफान 

कितने भी जख्म हो शरिर पर यही है मेरा जहाँ।


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