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PRATAP CHAUHAN

Abstract Romance Fantasy

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PRATAP CHAUHAN

Abstract Romance Fantasy

प्रियतम

प्रियतम

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बांहों में भर कर प्रियतम को,

बचपन का प्यार लुटाती हो।

 जैसे शरमाई मिलन पर थी,

 वैसे ही अब शर्माती हो।।


 चाहत की ऐसी आदत है,

 तुम को बांहों में लिए रहूं।

 इस प्यार को अमर बनाने को,

 ताउम्र तुम्हारे साथ रहूं।


 खूब थकाया अरे जवानी,

 सैयां मिलन मन रहा अधूरा।

 भले ही कंपती हैं अब बाहें,

 आलिंगन कर प्यार दूं पूरा।।


 प्यार की पूजा करने वाली,

 मेरी प्रियतमा बड़ी दुलारी।

 जीवन गुजरा प्यार डगर में,

 सत्तर की हुई उम्र हमारी।।


 काली घटा सी जुल्फों वाली,

 हो गई स्नो वाइट कुमारी।

 पंछी दोनों हम मतवाले,

 कविता प्रताप ने लिखी हमारी।।


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