Gajanan Pandey
Drama
माँ से ले सेवा का व्रत
पिता से ले आश्रय का दान।
कर्म बने जीवन का रथ
सद्गुण में है सुख का राज।
सुख - शांति हो जिस घर में
परिवार में मिलते गहरे संस्कार।
कविता के संबंध में 10 शब्द-
मात - पिता से घर - परिवार
वे देते संस्कार का आधार।
मन आईना है
रंग
संस्कारों से ...
जिंदगी का सफर
समय
पुस्तक
ईश्वर
स्वास्थ्य ही ...
क्या भूलूँ, क...
हमारे हाथ कर्...
किसी से भी न करो, नोंकझोंक समय को बना लो, अपना दोस्त किसी से भी न करो, नोंकझोंक समय को बना लो, अपना दोस्त
क्या था लोक लिहाज़, बंदिशों और बेड़ियों का दूजा नाम, क्या था लोक लिहाज़, बंदिशों और बेड़ियों का दूजा नाम,
सीता-राम मेरे हृदय बसते, दुनिया देखेगी आज भक्ति मेरी।। सीता-राम मेरे हृदय बसते, दुनिया देखेगी आज भक्ति मेरी।।
भीनी सी खुशबू खनक कर छन के आई थी, मानो कह रही थी बात कोई, भीनी सी खुशबू खनक कर छन के आई थी, मानो कह रही थी बात कोई,
मगर किसको मिलेगी ये तो समय ही बताएगा मगर किसको मिलेगी ये तो समय ही बताएगा
शहनाइयों का मधुर नाद बहाकर सनम, मैं तेरे स्वागत की तैयारी कर रहा हूं। शहनाइयों का मधुर नाद बहाकर सनम, मैं तेरे स्वागत की तैयारी कर रहा हूं।
जिसमे धर्म ख़ातिर, लड़ते योद्धा सब केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण ओर कंघा जिसमे धर्म ख़ातिर, लड़ते योद्धा सब केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण ओर कंघा
जब कोई किसी से जलन करता है। तो वही उसकी खुशियों का क़ातिल हो जाता है। जब कोई किसी से जलन करता है। तो वही उसकी खुशियों का क़ातिल हो जाता है।
बिलों में छिपे हुए गद्दारों को खत्म करना है। देश के जयचंदों का अब फन कुचलना है। बिलों में छिपे हुए गद्दारों को खत्म करना है। देश के जयचंदों का अब फन कुचलना ह...
पाप व्याभिचार यश अपयश कर्म अकर्म पाप व्याभिचार यश अपयश कर्म अकर्म
काम-क्रोध भी मेरे हृदय जगते, कुछ अनजाने में हो जाते पाप।। काम-क्रोध भी मेरे हृदय जगते, कुछ अनजाने में हो जाते पाप।।
दर्द जब दिल पर, खटखटाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ….. दर्द जब दिल पर, खटखटाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ…..
विकसित भारत और भारत-लोकतंत्र की मातृका थीम जिसकी है विकसित भारत और भारत-लोकतंत्र की मातृका थीम जिसकी है
बुढ़ापे से पूर्व जवानी में हो जा, तू बड़े लोग शीशे तोड़ते, अक्स के करा, झगड़े बुढ़ापे से पूर्व जवानी में हो जा, तू बड़े लोग शीशे तोड़ते, अक्स के करा, झगड़े
फिर संक्रांत उतार कर, शुभ काम करने के इशारे हो गए। फिर संक्रांत उतार कर, शुभ काम करने के इशारे हो गए।
जैसे सूर्य रोशनी मिटाती, तम खानदान वैसे सच्ची जुबां मिटाती, झूठ का निशान जैसे सूर्य रोशनी मिटाती, तम खानदान वैसे सच्ची जुबां मिटाती, झूठ का निशान
अपनी सखी सहेलियों के संग बिंदी लिपस्टिक लगाकर संवरना सजना। अपनी सखी सहेलियों के संग बिंदी लिपस्टिक लगाकर संवरना सजना।
दिल अब वैसे ही दर्द में बड़ा था जख्मी अपनों के शब्दों से ही तो दिल अब वैसे ही दर्द में बड़ा था जख्मी अपनों के शब्दों से ही तो
उनसे अच्छे तो, यहां पर प्राचीन पत्थर जो यहां पर मजबूत कर्म का देते, उनसे अच्छे तो, यहां पर प्राचीन पत्थर जो यहां पर मजबूत कर्म का देते,
ताश के घर-सा बारंबार बसाते-नेस्तनाबूद करते दिखते हैं... ताश के घर-सा बारंबार बसाते-नेस्तनाबूद करते दिखते हैं...