परी कथा--(सुन मेरी लाडली)
परी कथा--(सुन मेरी लाडली)
सुन मेरी लाडली.. !
नहीं सुननी मुझे परियों की कहानी
ना ही अलादीन के चिराग़ का अफसाना..
नहीं बनाना मुझे तुमको चाँद का टुकड़ा
जिसे हर कोई पाने को मचले
ना फूलों सा नाज़ुक, मखमल सा मुलायम..
जिसे जो चाहे जहाँ चाहे मसल दे
तुझे तो बनना है सूरज सा प्रखर
जो हाथ बढ़े तेरी तरफ वो ख़ाक हो जाए
सुन मेरी लाडली...!
नहीं भरोसा किसी गैर का करना
तुझे लड़ना है वीर मर्दानी लक्ष्मीबाई सी
बनना है रानी दुर्गावती औ आहिल्याबाई सी
परिलोक की सैर ना करके
तुम कल्पना चावला को जानो
अरुणिमा और बछेंद्री के साहस को पहचानो
राणा प्रताप / वीर शिवाजी / छत्रसाल
साम्भा और राणा कुम्भा को जानो
सीखना कुछ आत्मरक्षा के विविध गुण...!
लाडली मेरी सच बात को सुन
मुसीबत से बचाने नहीं आयेगा कोई चिराग का जिन्न
ख़ुद ही लड़नी है तुझे हर लड़ाई
तू फ़ौलाद सी बनना पर मन से पाषाण ना होना
तू आफताब तो बनना पर आग ना रखना..!
नहीं चाहती तू परियों की कथा सुन कोई ख़्वाब बुने
ख़ुद बेसहारा बन किसी का सहारा ढूँढे..!
तू ख़ुद में एक मिसाल बन नया इतिहास रचना
पर चाँद कभी नहीं बनना ना फूलों सा नाज़ुक.
मैं गर्व से कहूँगी एक फ़ौलाद मैंने सीमा पर भेजा है।