जीवन के सच्चे भगवान
जीवन के सच्चे भगवान
मुझे नहीं पता कि,
पत्थर की मूरत को पूजने का,
क्या होता परिणाम??
पूज लिया बस बचपन में क्योंकि,
बचपन से ही सीखा है कि,
हैं यह भगवान।
हैं यह भगवान।
बड़े होते-होते जाना,
जिस सच से थे अनजान।
हर युग में लेते हैं भगवान जी अवतार।
बन करके एक इंसान।
बन करके एक इंसान।
जैसे ही जाना सच यह,
ढूँढने लगी मैं वह इंसान।
जो है मेरे लिए,
जीवन के सच्चे भगवान।
जीवन के सच्चे भगवान।
फिर देखा दिन भर ध्यान से,
माँ करती अपने बच्चों के लिए,
अपनी हर चीज़ का बलिदान।
करती सब कुछ बिना जाने,
स्वार्थ का कोई ज्ञान-विज्ञान।
जानते ही यह सच,
हो गए सारे भ्रम अंतर्धान।
जान लिया फिर उस दिन से,
माँ है वह इंसान।
माँ ही है हर बच्चे के लिए,
ईश्वर का वरदान।
माँ ही है जो होती,
जीवन की सच्ची भगवान
जीवन की सच्ची भगवान।
