चमकते सितारे
चमकते सितारे
जब से जन्म लिया इस दुनिया में,
तभी से देखे हैं।
यह चमकते सितारे,
सदा नील गगन में।
रोते थे हम जब भी बचपन में।
माँ दिखाती थी छत से,
चमकते सितारे नील गगन में।
फिर देखते ही यह चमकते सितारे,
खुशियों के मानो,
फूल खिल जाते थे मन में।
बिना गिरे कैसे समाए हैं,
इतने सारे हीरे आसमान में?
यही सोचते थे कभी-कभी,
बचपन की मासूमियत में।
हमेशा ही चमकते रहने की,
प्रेरणा हैं देते यह चमकते सितारे।
सोचती हूँ मैं कभी-कभी,
क्या खुद कभी,
निराश नहीं होते यह चमकते सितारे?
कैसे सदा खुशी से,
टिमटिमाते से दिखते हैं यह चमकते सितारे?
नहीं है इन्हें कोई गम या
अपना गम छिपाने का,
हुनर खूब जानते हैं यह चमकते सितारे।
जब हम कभी,
ना उम्मीद हो जाते हैं जीवन में।
उठाते हैं अपनी नजरें नील गगन में,
उम्मीद की चाहत में,
देखने को बस यह चमकते सितारे।
सच में,
कमाल के होते हैं,
यह चमकते सितारे।
खुद टूट कर भी,
हमारी उम्मीद जगाए रखते हैं,
यह चमकते सितारे।
देखते ही एक टूटता तारा।
जग जाते हैं,
हमारे मन में ख्वाब खूब सारे।
सच में,
कमाल के होते हैं,
यह चमकते सितारे।
बहुत ज़्यादा ना सही पर,
सदैव चमकते रहते हैं,
यह तारे।
बहुत ज़्यादा ना सही पर,
हम इंसानों की उम्मीद,
सदा जगाए रखते हैं,
यह चमकते सितारे।
यह चमकते सितारे।
