हसीन पल।
हसीन पल।


बचपन के भी क्या दिन थे।
सबसे हसीन वे पल थे।
न किसी से परेशानी थी।
सबसे हिल मिल रहते थे।
गली मोहल्ले में घूमते थे
सबसे बाते करते थे।
हर किसी से दोस्ती थी।
अपना सा सब लगते थे।
प्यार सबसे करते थे।
सबसे मुस्कुराहट पाते थे।
थक हार के जब घर आते
मम्मी की गोद में बैठ जाते थे।
खाने का जब मन हो जाए
घर को सर पे उठाते थे।
जब कोई चीज हमें लेना हो
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p; बिन आंसू हम रो देते थे।
जब पिताजी से डांट पड़ जाती।
मम्मी से शिकायत करते थे।
दोस्तों के साथ दिन भर हम
इधर उधर घुमा करते थे।
नए कपड़े पहनने के लिए
त्योहार का इंतजार करते थे।
न किसी से डरते थे।
न किसी से शिकायत थी।
निर्दोष हंसी नित चेहरे पे
सबसे मिलने के ख्वाब रखते थे।
न कोई अमीर न कोई गरीब
सबसे समानता रखते थे।
पैसा कमाने की दौड़ की
न हमें परेशानी थी।