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Manishaben Jadav

Abstract

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Manishaben Jadav

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बालदिन

बालदिन

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निर्दोषता से भरपूर होता है बाल।

 सबको प्यारे लगते हैं हर बाल।

    ये बाल रोनक हैं सबकी....।


समानता के भाव से रहते हैं बाल।

किसी भेदभाव नहीं जानते ये बाल।

   ये बाल रोनक हैं सबकी....।


इश्वर का वरदान होता है हर बाल।

माँ का दुलारा होता है ये बाल।

    ये बाल रोनक हैं सबकी.....।


जैसे बगीचे मे खिले हैं फूल।

आँगन की मुस्कुराहट हैं बाल।

   ये बाल रोनक हैं सबकी.....,।


जीवन मे हंमेशा मुस्कुराते रहते बाल।

सबके होठों पे बिखेरते खुशी बाल।

    ये बाल रोनक हैं सबकी...।


यूँ न मुरझाने दिजिये बाल।

भविष्य की महामूली मुडी हैं बाल।

    ये बाल रोनक हैं सबकी...।


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