परिभाषा गलत की
परिभाषा गलत की
सोचती थी कि जिंदगी में सब पा जाऊंगी पर मैं गलत थी l
जानती थी कि कोई मुझसे नफरत ही नहीं कर सकता पर मैं फिर गलत थी l
कहती थी प्यार से किसी का भी दिल जीता जा सकता है पर मैं बहुत गलत थी l
सुना था कि अगर तुम किसी को सच्चे दिल से चाहो
तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलवाने में लग जाती हैं पर मैं तो गलत थीl
देखा था कि प्यार के बदले प्यार ही मिलता है पर मैं न जाने क्यों गलत थी ?
आखिर क्यों जिंदगी में ऐसा मंजर भी आता है मुझे हर बात पर चुप करा दिया जाता है?
कि मुझे मर्यादा का ध्यान रहे पुरुष आखिर हर मर्यादा क्यों लांग जाता है ?
क्यों क्यों जोर से रोने से रोका जाता है क्यों चिल्लाने से मुझे थामा जाता है l
गरिमा क्या है मेरी यह जानती हूं मैं अच्छे बुरे लोगों को भी पहचानती हूं मैं
व्यथा हृदय की किसे सुनाऊं साथ देने किसे बुलाओ मैंl
भारत की बेटी हूं जुल्म सह तो नहीं सकते पर परम पूजनीय जगत जननी दुख हरनी
अंबे मां नारी की शक्ति हूँ चुप रह भी नहीं सकती l
चुप मैं अगर हो जाती यह दुनिया क्या कहती?
इतना सब कुछ मैं भला कैसे सहती?
माना था कि अपने तरीके से जिया जाता है जीवन को पार मैं गलत थी l
अब आप ही बताएं मैं कहां और कहां-कहां नहीं और कहां गलत थी?
है मुझे चुप करा दिया जाता है ताकि उनका स्वाभिमान बचा रहे
लेकिन मेरे उस स्वाभिमान का क्या जो दिन में सो सो बार तोड़ा जाता हैl
मुझको जैसे चाहा मोड़ दिया जाता है
सब ने कहा कदम उठाओ कोई पर नहीं उठाया मैंने समझ गई कि मैं गलत थीl
गलत की परिभाषा क्या है समझाइए मुझे कि मैं कहां गलत थी?