प्रेम पुष्प
प्रेम पुष्प
नमन आज है उन पितरों को,
जिनसे अस्तित्व हमारा है,
जिनके शुभ आशीषों ने,
जीवन को हमारे सँवारा है !
माँ की सुखमय गोद जहाँ पर,
प्यार मिला था अपरंपार,
पिता के कंधों पर चढ़कर,
देखा ये अद्भुत संसार !
पक्षी मानिंद पंख पसारे,
बच्चे जब उड़ जाते हैं,
खाली नीड़ में मात पिता,
जीवन की साँझ बिताते हैं !
समय चक्र चलता अनवरत,
रुकता है वह कहीं नहीं,
हम बसते हैं अन्यत्र कहीं,
पर जड़ें आज भी वहीं जमीं !
आर्द्र नयन और द्रवित हृदय से,
याद उन्हें हम करते हैं,
अगले जन्म में पुनः मिलें,
बस यही प्रार्थना करते हैं !