STORYMIRROR

Shalini Prakash

Romance Classics Fantasy

4.5  

Shalini Prakash

Romance Classics Fantasy

प्रेम का रूप

प्रेम का रूप

1 min
41

कहा था किसी ने,  

अगर प्रेम अधूरा हो, तो राधा-कृष्ण जैसा,  

और पूरा हो, तो शिव-पार्वती जैसा।  

मगर राम और सीता के प्रेम ज़िक्र क्यो  नही होता ?  

क्या वो प्रेम नहीं था?


अगर न होता,  

तो वनवास से लौटकर त्याग के बाद  

राम ने दूसरा विवाह क्यों न किया?


राम का प्रेम था —  

मर्यादाओं में बंधा,  

समाज की सीमाओं में रचा-बसा,  

एक सामाजिक बंधन जैसा,  

जैसे आज हम निभाते हैं —  

जहाँ प्रेम से जरूरी होता है जिम्मेदारियो को निभाना।


राम ने निभाई समाज की मर्यादा,  

सीता ने निभाया एक स्त्री का स्वाभिमान।  

त्याग के बाद जब राम ने पुकारा,  

सीता ने लौटना नहीं चुना,  

धरती माँ की गोद को अपनाया।


सीता ने सिखाया —  

प्रेम करो, पर इतना नहीं  

कि खुद को खो बैठो।  

समर्पण ज़रूरी है,  

पर जहाँ सम्मान न हो,  

वहाँ से लौट जाना ही बेहतर।


प्रेम में साथ होना ही सब कुछ नहीं,  

कभी-कभी  

अलग रास्ते चुन लेना  

भी प्रेम होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance