इजाज़त
इजाज़त


रोने की इजाज़त तक मिलती नहीं ,
कहते हैं वो क्यूँ मनहूसियत फैलाती हो,
आंखों के आँसू पलकों पर ही अटके हैं सालों से,
गालों पर लुढ़कने की चाह लिए।
रोने की इजाज़त तक मिलती नहीं ,
कहते हैं वो क्यूँ मनहूसियत फैलाती हो,
आंखों के आँसू पलकों पर ही अटके हैं सालों से,
गालों पर लुढ़कने की चाह लिए।