इंतजार
इंतजार
आज भी मेरा इंतजार फीका ही रह गया,
तुम ना आए बस तेरी याद चली आई।
कोरी आंखों से रास्ते को निहारते रह गए,
काजल तो आसुओं की बरसात ले गई।
सोचा था लेंगे इस बेरुखी का हिसाब,
उससे पहले अपने एहसानों की किताब भेज दी।
सहमे सहमे से पन्नों को पलटे रहे हम,
कोने कोने में इश्क़ को ढूंढते रहे हम,
बस उसमे खुदगर्जी की मिसाल ही मिली।
क्या सच में मेरी मोहब्बत नामंजूर थी तुम्हें,
या वक़्त के धूल ने उसकी चमक छीन ली।
बस एक बार आकर समझा देते मुझे,
इन सवालों के चंगुल से बचा लेते मुझे,
बरसों से आज भी कचोट है मुझे,
आधी रात की नींद से जगाते हैं मुझे,
इस इंतज़ार के चक्रव्यूह से बचाओ,
एक बार आओ और मन की प्यास बुझाओ।